रायसेन जिले का बेगमगंज इलाका अब सीधे सागर जिले के राहतगढ़ से जुड़ने की ओर है। इस क्षेत्र में मड़िया डेम के डूब क्षेत्र से गुजरने वाले स्टेट हाइवे पर चार बड़े फ्लाईओवर बनाए जा रहे हैं। इनमें से तीन फ्लाईओवर पूरी तरह बनकर चालू हो चुके हैं, जबकि चौथे का काम अंतिम चरण में है और इसे बरसात से पहले पूरा कर लिए जाने की योजना है।
80% तक डेम में भरा जायगा पानी
इस बार प्रशासन की योजना है कि मड़िया डेम को लगभग 80 प्रतिशत तक भरा जाएगा, जिससे इसका भव्य स्वरूप पहली बार सामने आएगा। हालांकि, डूब क्षेत्र में आने वाले कुछ अन्य मार्गों पर ब्रिज और पुलिया निर्माण अधूरे हैं, इसलिए फिलहाल जलभराव को सीमित रखा जाएगा।
फ्लाईओवर निर्माण का 95% काम पूरा
माधव इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड के प्रोजेक्ट मैनेजर अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि भोपाल-सागर राहतगढ़ मार्ग के 9.5 किमी हिस्से में डूब क्षेत्र आता है। यहां 2670 मीटर की दूरी में चार फ्लाईओवर और सड़क निर्माण कार्य बौना बांध परियोजना के तहत किया जा रहा है।
121 करोड़ रुपए की लागत से हो रहे इस कार्य का 95% काम पूरा हो चुका है। तीन फ्लाईओवर –
- 240 मीटर लंबा (सुमेर-सगोनी के बीच)
- 300 मीटर लंबा (सगोनी गांव के पास)
- 1260 मीटर लंबा (मानकी खिरिया तिराहा)
आपको बात दें कि यह तीनों फ्लाईओवर चालू हो चुके हैं। चौथा फ्लाईओवर 870 मीटर लंबा (परासरी कला) है, जिसका कार्य जून के पहले सप्ताह तक पूरा हो जाएगा।
ग्रामीणों की है इस बात की चिंता
जैसे-जैसे डेम भरने की योजना पर काम आगे बढ़ रहा है, वैसे ही डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों को खाली कराने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इनमें प्रमुख गांव हैं ककरुआ, चांदामऊ और बेलई।
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पिछले साल सिर्फ 30% जलभराव होने पर भी ये गांव पूरी तरह से पानी से घिर गए थे, जिससे लोग कई दिनों तक फंसे रहे थे। इस बार डेम को ज्यादा भरने की योजना है, इसलिए समय रहते इन गांवों को सुरक्षित निकालने की तैयारी की जा रही है।
इन गांव को कराया जायगा खाली, गांव वालों ने किया मुआवजे की मांग
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने सिर्फ उनकी खेती की जमीन को डूब क्षेत्र में शामिल किया है, जबकि उनके मकानों को नजरअंदाज कर दिया गया है।
ग्राम सगोनी के उत्तम सिंह, ग्राम सुमेर के संतोष प्रजापति, मनोज साहू, कोकलपुर के मनमोहन कुशवाहा और बलदार मंसूरी जैसे दर्जनों किसानों ने बताया कि उनके मकान भी डूब में आ रहे हैं, लेकिन अभी तक उन्हें कोई मुआवजा नहीं मिला है। अब देखना होगा कि जब विकास की गाड़ी रफ्तार पकड़ चुकी है तो ग्रामीणों के हक की सुनवाई कब होगी।
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