MP News: जंगलों से सटे गांवों में रहने वाले लोगों के मन में एक बार फिर सवाल उठ खड़ा हुआ है “क्या हमें अब अपना गांव छोड़ना पड़ेगा? लेकिन इस बार स्थिति थोड़ी अलग है। बुधवार को शिवपुरी कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में हुई एक अहम बैठक में माधव टाइगर रिजर्व के इको-सेंसिटिव जोन में आने वाले 64 गांवों को लेकर महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए गए हैं।
दरअसल, माधव टाइगर रिजर्व करीब 375 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका इको-सेंसिटिव जोन शहरी इलाके से 100 मीटर और गांवों से 2 किलोमीटर तक का क्षेत्र कवर करता है। इस दायरे में शिवपुरी, करैरा और नरवर तहसील के कुल 64 गांव आते हैं।
अब इन गांवों की राजस्व और वन विभाग की संयुक्त टीम द्वारा ग्राउंड लेवल पर सर्वे किया जाएगा। कलेक्टर ने सभी संबंधित अधिकारियों को तीन दिन के भीतर रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
गांवों का विस्थापन
इस सवाल पर खुद कलेक्टर चौधरी ने स्थिति स्पष्ट की इको-सेंसिटिव जोन से किसी को विस्थापित नहीं किया जाएगा। लेकिन उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि इस क्षेत्र में कुछ गतिविधियों पर सख्त प्रतिबंध रहेगा।
किन गतिविधियों पर लगेगी रोक
इको-सेंसिटिव जोन में भविष्य में खनन, क्रेशर प्लांट, ईंट भट्टे, और प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग स्थापित नहीं किए जा सकेंगे। इस निर्णय का उद्देश्य साफ है वन्यजीवों की सुरक्षा और ग्रामीणों की स्थिरता दोनों को सुनिश्चित करना।
अधिकारियों की जिम्मेदारी तय
इस बैठक में पटवारियों सहित कई विभागीय अधिकारी मौजूद रहे। सभी को निर्देश दिए गए हैं कि वे गांवों की जनसंख्या, आजीविका, संरचनाएं और जमीन की स्थिति की रिपोर्ट जल्द से जल्द तैयार करें। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी ग्रामीण को नुकसान न पहुंचे, और साथ ही जंगल के जीव-जंतुओं का प्राकृतिक निवास भी सुरक्षित रहे।
शिवपुरी जिले में चल रही यह तैयारी एक संतुलित प्रयास की तरह लगती है जहाँ न केवल पर्यावरण की रक्षा की बात हो रही है, बल्कि ग्रामीणों के हितों को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा रहा। अब देखना होगा कि आने वाली रिपोर्ट क्या संकेत देती है और इन 64 गांवों के लिए क्या नई नीति बनती है।
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