मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा को नई दिशा देने की तैयारी ज़ोरों पर है। राज्य सरकार ने तय किया है कि प्रदेश के कुछ चुनिंदा शासकीय कॉलेजों को Deemed University का दर्जा दिया जाएगा। इस योजना के पहले चरण में भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, ग्वालियर और शुजालपुर के प्रतिष्ठित कॉलेज शामिल किए गए हैं। इस पहल का मुख्य उद्देश्य बिना किसी बाहरी अफिलिएशन के दबाव के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण और लचीली शिक्षा प्रदान करना है।
Deemed University क्या है
Deemed University वो शैक्षणिक संस्थान होते हैं जिन्हें UGC (University Grants Commission) द्वारा “विशेष दर्जा” प्रदान किया जाता है। यह कॉलेज न केवल अपने पाठ्यक्रम, परीक्षा पद्धति, और फीस स्ट्रक्चर तय करने में स्वतंत्र होते हैं, बल्कि उन्हें हर वर्ष 50 लाख रुपये का अफिलिएशन शुल्क भी नहीं देना पड़ता। इस निर्णय से कॉलेजों को वित्तीय राहत तो मिलेगी ही साथ ही वे छात्रों को ज्यादा बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करा पाएंगे।
किन कॉलेजों को मिलेगी यह पहचान?
सरकार द्वारा जिन प्रमुख कॉलेजों को डीम्ड यूनिवर्सिटी के लिए चुना गया है उनमें शामिल हैं:
- भोपाल: सरोजनी नायडू गर्ल्स कॉलेज
- जबलपुर: होम साइंस कॉलेज
- ग्वालियर: आदर्श साइंस कॉलेज, गर्ल्स कॉलेज छिंदवाड़ा
- उज्जैन: माधव साइंस कॉलेज, माधवा पीजी कॉलेज
- शुजालपुर: एक शासकीय कॉलेज
इन संस्थानों के लिए NAAC (National Assessment and Accreditation Council) की वर्चुअल टीम ने निरीक्षण किया है और ‘A’ ग्रेड मिलने की उम्मीद जताई जा रही है जो डीम्ड यूनिवर्सिटी के दर्जे के लिए आवश्यक है।
क्या होंगे डीम्ड यूनिवर्सिटी के फायदे
- अफिलिएशन से मुक्ति: कॉलेज अब किसी यूनिवर्सिटी से मान्यता लेने के लिए बाध्य नहीं होंगे।
- स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता: पाठ्यक्रम और परीक्षा पद्धति जैसे फैसले कॉलेज खुद ले सकेंगे।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप पाठ्यक्रम: कॉलेज अपनी सुविधानुसार आधुनिक और करियर-ओरिएंटेड कोर्स चला सकेंगे।
- बेहतर रिसर्च और डेवेलपमेंट: शोध कार्यों में विस्तार के साथ छात्रों को इनोवेशन के लिए बेहतर माहौल मिलेगा।
- फीस और दाखिला प्रक्रिया में पारदर्शिता: संस्थान अपनी जरूरतों के अनुसार सुविधाएं बढ़ा सकेंगे।
आवेदन प्रक्रिया कैसे पूरी होगी
Deemed University बनने के लिए कॉलेजों को कई स्तरों पर प्रक्रिया पूरी करनी होती है इसके सबसे पहले चरण में NAAC द्वारा निरीक्षण किया जाता है। उसके बाद संस्थान को अपने शैक्षणिक प्रदर्शन, फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर और अनुसंधान गतिविधियों की जानकारी देनी होती है अंत में UGC को एक औपचारिक प्रस्ताव भेजा जाता है, जिसमें कॉलेज की स्वतंत्र कार्यप्रणाली का विवरण होता है।
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होम साइंस कॉलेज, जबलपुर के प्राचार्य प्रो. समीर शुक्ला के मुताबिक इस बार ‘A’ ग्रेड मिलने की प्रबल संभावना है। इससे कॉलेज को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिलना तय माना जा रहा है।
मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम न सिर्फ शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देगा बल्कि शासकीय कॉलेजों को एकेडमिक ऑटोनॉमी देकर उन्हें वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार करेगा। आने वाले वर्षों में यह पहल प्रदेश को उच्च शिक्षा का हब बनाने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास साबित हो सकती है।