MP News: मध्यप्रदेश में तकनीकी और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगने जा रही है। जल्द ही प्रदेश को उसका पहला Six-Lane Cable Stayed Bridge मिलने वाला है। यह शानदार ब्रिज उत्तरप्रदेश और राजस्थान से जुड़ते हुए मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाले Expressway का हिस्सा होगा।
जानिये केबल स्टे ब्रिज क्या होता है
Cable Stayed Bridge एक ऐसी तकनीक पर आधारित होता है जिसमें पुल के डेक को ऊंचे टावरों से केबल्स के जरिए जोड़ा जाता है। ये केबल्स ब्रिज का पूरा भार सहते हैं और Structural Stability बनाए रखते हैं।
केबल स्टे ब्रिज की खासियत क्या है
- Natural Disaster Resistant: ये ब्रिज तेज हवा और भूकंप जैसे हालात में भी मजबूत बने रहते हैं।
- Long-lasting Structure: केबल्स के कारण यह लंबे समय तक टिकाऊ होते हैं।
- Cost Effective: लंबे ब्रिज के मामले में इनकी निर्माण लागत पारंपरिक पुलों की तुलना में किफायती होती है।
- Tourism & Growth: जिन शहरों में ऐसे ब्रिज होते हैं, वे टूरिज्म और डेवेलपमेंट के लिहाज़ से तेजी से उभरते हैं।
चंबल नदी पर बन रहा है भव्य पुल
600 मीटर लंबा ये Cable Stayed Bridge चंबल नदी पर बनाया जा रहा है, जो राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित है। इस पुल को दो विशाल स्तंभों पर टिके मजबूत केबल्स से थामा जाएगा। खास बात ये है कि ये ब्रिज राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य (National Chambal Sanctuary) के क्षेत्र में तैयार होगा।
अगर आपने उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में स्थित नैनी Cable Stayed Bridge देखा है, तो आपको यह ब्रिज उससे काफी मिलता-जुलता लगेगा। फर्क इतना भर है कि चूंकि यह ब्रिज Sanctuary Zone में बन रहा है, इसलिए यहां नैनी ब्रिज जैसी डेकोरेटिव लाइटिंग नहीं की जाएगी।
पहले से प्रस्तावित ब्रिज का बदला गया स्वरूप
यह पुल पहले से प्रस्तावित 88.40 किमी लंबे Greenfield Expressway के रूट में ही है, लेकिन अब इसका डिजाइन और टेक्नोलॉजी अपग्रेड कर इसे Cable Stayed Bridge के रूप में बदला जा रहा है। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है।
अभयारण्य और इको-सेंसिटिव ज़ोन में निर्माण को मिली मंजूरी
ब्रिज का एक किलोमीटर का हिस्सा मध्यप्रदेश के अभयारण्य क्षेत्र में आएगा और लगभग दो किलोमीटर का हिस्सा Eco-Sensitive Zone में से गुजरेगा। इसके लिए ज़रूरी NOC (No Objection Certificate) ले ली गई है।
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राजस्थान की सीमा में भी लगभग 1 किलोमीटर अभयारण्य और 9 किमी संरक्षित क्षेत्र में हाईवे का निर्माण होगा। मुरैना के शनिश्चरा क्षेत्र में 1.5 किमी वन क्षेत्र से भी यह एक्सप्रेस वे निकलेगा, जिसके बदले वन विभाग को 1.5 करोड़ रुपये मुआवज़े के तौर पर दिए जा चुके हैं।
जानिए कब शुरू होगा निर्माण
NHAI (National Highways Authority of India) के मैनेजर प्रशांत मीणा ने बताया कि आगरा से ग्वालियर के बीच Greenfield Expressway के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब इस पूरे प्रोजेक्ट का सुपर-स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा, और नवंबर 2025 तक इसका काम शुरू हो जाएगा।