MP News: मध्य प्रदेश में एक बार फिर से तबादलों की बयार चल पड़ी है। बात केवल तृतीय श्रेणी कर्मचारियों या प्रशासनिक अधिकारियों की नहीं है, इस बार भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के वरिष्ठ अधिकारियों का भी नंबर आया है।
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, राज्य के 9 जिलों में कलेक्टरों के तबादले पर सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। सूची मुख्य सचिव तक पहुंच चुकी है, और अब अंतिम फैसला उन्हीं के हाथ में है।
किन जिलों के कलेक्टर बदले जा सकते हैं
सूत्रों की मानें तो जिन नौ कलेक्टरों के तबादले की सिफारिश हुई है, उनमें निम्न नाम प्रमुख हैं:
- मुरैना – अंकित अस्थाना
- धार – प्रियंक मिश्रा
- शिवपुरी – रविंद्र चौधरी
- रीवा – प्रतिभा पाल
- अलीराजपुर – अभय बेडेकर
- आगर मालवा – राघवेंद्र सिंह
- भिंड – संजीव श्रीवास्तव
- मैहर – रानी बाटड़
- पांढुर्णा – अजय देव शर्मा
इन सभी अधिकारियों ने अपने-अपने जिलों में डेढ़ वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है। यही वजह है कि मंत्रालय अब इन्हें नई जिम्मेदारी या पदस्थापना देने की दिशा में विचार कर रहा है।
मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इन अफसरों को अगले डेढ़ साल के लिए भोपाल मंत्रालय में बुलाया जा सकता है। वहां इन्हें नई भूमिका सौंपी जा सकती है या फिर बड़ी प्रशासनिक जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जाएगा।
ब्यूरोक्रेसी में कुछ और बड़े बदलाव भी तय
मध्य प्रदेश प्रशासनिक ढांचे में केवल कलेक्टर ही नहीं, बल्कि कुछ वरिष्ठ अफसरों के स्तर पर भी हलचल जारी है:
- सागर कमिश्नर वीरेन्द्र सिंह रावत जून में रिटायर हो रहे हैं।
- अपर मुख्य सचिव विनोद कुमार पहले ही सेवा निवृत्त हो चुके हैं। उनकी जगह मनीष रस्तोगी को प्रमोट किया गया है।
- दतिया कलेक्टर संदीप मॉकिन भी रिटायर हो चुके हैं। जैसे ही प्रधानमंत्री का दौरा संपन्न हुआ, उनका पद रिक्त हो गया है।
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राज्य में अफसरों की तबादला नीति के तहत, यदि कोई अधिकारी 18 महीने या उससे अधिक किसी जिले में सेवाएं दे चुका है, तो उसे नई जगह भेजने का प्रावधान है। यह एक रोटेशन पॉलिसी का हिस्सा है, जिससे सुशासन और कार्यकुशलता बनी रहे। आपको बता दें इन ट्रांसफर से न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि राजनीतिक समीकरणों पर भी असर पड़ सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इन 9 में से कितने कलेक्टर बदले जाते हैं और उनकी जगह किन नए चेहरों को जिम्मेदारी दी जाती है।