मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर सामने आ रही है। बीते कई सालों से पदोन्नति का इंतजार कर रहे 4 लाख 75 हजार से ज्यादा कर्मचारी अब राहत की सांस ले सकते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने Promotion Process को लेकर एक बड़ा निर्णय लिया है।
सरकार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, अब पदोन्नति की प्रक्रिया Supreme Court Guidelines को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ाई जा रही है। यह कदम न सिर्फ कर्मचारियों के भविष्य को नया मोड़ देगा, बल्कि सरकार की एक बड़ी Administrative Initiative भी माना जा रहा है।
मोहन सरकार की सख्त पहल
राज्य के कई विभागों में ऐसे कर्मचारी सालों से कार्यरत हैं जो योग्य होते हुए भी एक ही पद पर जमे हुए थे। इनमें खासतौर पर Patwari, Teachers, Healthcare Workers और Police Personnel जैसे प्रमुख विभागों के कर्मचारी शामिल हैं। सरकार अब Vertical Reservation के आधार पर पदोन्नति देने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रही है।
किन कर्मचारियों को मिलेगा प्रमोशन
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि, “पूर्व में लागू किए गए कुछ गलत नियमों के कारण कई कर्मचारियों को अनुचित तरीके से प्रमोशन मिल चुका है, जबकि योग्य कर्मचारी इंतजार में रह गए। अब सिर्फ उन्हीं को प्रमोशन मिलेगा जो High Court के निर्णयानुसार पात्र हैं।” उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि Reserved Category के वे कर्मचारी जो सीधी भर्ती से प्रथम पद पर हैं उन्हें छोड़कर अन्य को प्रमोशन नहीं दिया जा सकता।
9 सालों से अटकी थी कर्मचारियों की प्रमोशन
मध्य प्रदेश में Promotion System बीते 9 वर्षों से ठप पड़ी हुई थी। इस दौरान करीब 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी रिटायर हो चुके हैं, लेकिन प्रमोशन की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। वर्ष 2002 में राज्य सरकार द्वारा प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया था, जिससे विवाद की स्थिति बनी। बाद में इस नियम को कोर्ट में चुनौती दी गई और अदालत ने सरकार को प्रमोशन प्रक्रिया स्थगित करने का आदेश दिया था।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश भी अहम
सपाक्स के प्रदेश अध्यक्ष के.एस. तोमर ने कहा, “पदोन्नति में आरक्षण देते समय Creamy Layer को अलग करना जरूरी है। यह बात सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों में स्पष्ट रूप से कही गई है। यदि ऐसा नहीं हुआ तो यह सीधे तौर पर Contempt of Court होगा।” सरकार इस दिशा में जो भी कदम उठाएगी, उसे कोर्ट के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आगे बढ़ना होगा।
चुनाव से पहले कर्मचारियों को साधने की कोशिश
मोहन सरकार का यह कदम आने वाले 2028 विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनज़र भी अहम माना जा रहा है। कर्मचारियों की नाराजगी किसी भी सरकार के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। ऐसे में यह पहल न केवल Administrative Reform है, बल्कि Political Strategy के रूप में भी देखी जा रही है। सरकार चाहती है कि कर्मचारियों का भरोसा जीतकर आगामी चुनावों में मज़बूत स्थिति बनाई जा सके।
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