अब अगर आप ज़मीन या प्रॉपर्टी के नामांतरण (Transfer of Property) के लिए आवेदन करते हैं तो सुनवाई सिर्फ इस वजह से नहीं रुकेगी कि आपके पास पुराने रिकॉर्ड नहीं हैं। सरकार ने एक नया कदम उठाते हुए तय किया है कि अब सरकारी रिकॉर्ड रूम से जरूरी दस्तावेज़ निकालकर सुनवाई तय तारीख पर पूरी की जाएगी।
पहले जब कोई व्यक्ति प्रॉपर्टी के नामांतरण के लिए अर्जी देता था तो उससे अपेक्षा की जाती थी कि वह ज़रूरी रिकॉर्ड खुद उपलब्ध कराए परन्तु हकीकत ये है कि ये दस्तावेज़ हर किसी के पास नहीं होते थे जिससे कई बार पुराने रिकॉर्ड मिलना आसान नहीं होता था और इसी वजह से सुनवाई टलती रहती थी। इसका असर केवल व्यक्ति विशेष पर नहीं बल्कि पूरे सिस्टम पर पड़ता था। इससे राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में भी लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जाती थी।
सरकार ने बदली व्यवस्था
अब राजस्व विभाग ने एक नई व्यवस्था लागू की है, जो राज्य के सभी कलेक्टरों तक पहुंचा दी गई है। अब यह आदेश है कि प्राइवेट और सरकारी जमीनों से जुड़े नामांतरण मामलों में ज़रूरी रिकॉर्ड संबंधित व्यक्ति को खुद ढूंढकर लाने की जरूरत नहीं होगी। Revenue Inspectors और Patwaris को निर्देश दिए गए हैं कि यदि किसी केस में दस्तावेज़ की जरूरत पड़े, तो वे खुद रिपोर्ट बनाएं और रिकॉर्ड को पेश करें। इससे न सिर्फ लोगों की परेशानी कम होगी बल्कि प्रक्रिया भी तेज़ होगी।
सरकार को यह महसूस हुआ कि जब कोई व्यक्ति पूरी प्रक्रिया के साथ ज़मीन के नामांतरण के लिए आगे आता है, तो उससे कई बार इतने पुराने दस्तावेज़ मांगे जाते हैं जो उसके पास नहीं होते।
सोचिए, एक आम व्यक्ति जिसने हाल ही में कोई ज़मीन खरीदी है उससे 30 साल पुराने Bandobast (settlement) दस्तावेज़ मांग लेना कितना जायज है जब ये दस्तावेज़ नहीं मिलते तो केस आगे नहीं बढ़ पाता। सुनवाई टलती जाती है और व्यक्ति सालों तक चक्कर काटता रहता है।
इसे भी पढ़ें – 262 किलोमीटर की लंबी रेललाइन शुरू, चिटफंड कंपनी ने पूरे देश से लूटे ₹2300 करोड़
सरकार के इस फैसले से उन लाखों लोगों को राहत मिलेगी जो संपत्ति के नामांतरण में सिर्फ रिकॉर्ड के कारण अटके रहते थे। यह बदलाव केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं बल्कि “Ease of Living” की दिशा में एक सार्थक प्रयास है।