MP News: मध्यप्रदेश के ऊंचाखेड़ा गांव के किसानों पर कभी खुशी कभी ग़म वाली कहावत आज बिलकुल सटीक बैठती है। बुदनी विकासखंड का यह गांव जिसे हाल ही में रेहटी तहसील से हटाकर बुदनी तहसील में शामिल किया गया है, अब एक नई उलझन में फंस गया है। ग्रामीणों ने सालों तक प्रयास किए कि उनका गांव प्रशासनिक रूप से बुदनी तहसील में आ जाए। जब मांग पूरी हुई तो लगा जैसे अब राहत मिलेगी। लेकिन असली परेशानी तो अब शुरू हुई है।
सीमांकन का संकट न रेहटी में सुनवाई, न बुदनी में समाधान
गांव की स्थिति अब ऐसी हो गई है कि किसानों को न रेहटी तहसील में मदद मिल रही है और न ही बुदनी में कोई अधिकारी उनकी बात सुनने को तैयार है। जिन किसानों ने पहले रेहटी से अपने ज़मीन सीमांकन के आदेश लिए थे, वे आज भी पेंडिंग हैं। बुदनी तहसील में शामिल होने के बाद उम्मीद थी कि लोक सेवा केंद्र में सीमांकन से लेकर खसरा-खतौनी की नकल तक की प्रक्रिया सरल हो जाएगी लेकिन ground reality कुछ और ही बयां करती है।
“रिकॉर्ड नहीं आया” बोले तहसीलदार
बुदनी के तहसीलदार सौरभ वर्मा ने बताया कि कंप्यूटर रिकॉर्ड अभी तक पूरी तरह ट्रांसफर नहीं हुआ है। और यही सबसे बड़ी रुकावट बन रही है। गांव के जिन किसानों की जमीन Indore-Budni रेलवे लाइन या फिर राष्ट्रीय राजमार्ग 140B में चली गई है, उनके सीमांकन के लिए भी फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है। ये मामला सिर्फ़ कागज़ों में अटका हुआ नहीं है, बल्कि किसानों की आजीविका से जुड़ा एक गंभीर विषय है।
मानसून की दस्तक और चिंता की लहर
अब कुछ ही दिनों में मानसून दस्तक देने वाला है। जैसे ही बारिश शुरू होगी, ज़मीनों का सीमांकन और मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में जिन किसानों की जमीन सरकारी प्रोजेक्ट्स में चली गई है वे न तो उचित मुआवज़े की प्रक्रिया शुरू कर पा रहे हैं और न ही किसी समाधान की उम्मीद देख पा रहे हैं।
ऊंचाखेड़ा के लोग अब एक बार फिर उसी उम्मीद में हैं कि प्रशासन जल्द इस मामले को संज्ञान में लेकर ज़रूरी कदम उठाएगा। क्योंकि गांव बदलना आसान था, लेकिन सिस्टम बदलवाना अभी भी एक लंबी लड़ाई है।
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