MP News: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज रविवार को दो महत्वपूर्ण बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। इन बैठकों में राज्य के विकास से जुड़ी नई योजनाओं का प्रारूप, उनके उद्देश्य, बजट और कार्यान्वयन के पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। अधिकारी इन योजनाओं के सफल और तेज़ क्रियान्वयन के लिए जरूरी सुधारों पर भी विचार रखेंगे।
पहली बैठक में योजनाओं के प्रारूप और उद्देश्य पर होगा फोकस
सुबह की बैठक का मुख्य केंद्रबिंदु उन योजनाओं का रोडमैप तैयार करना है जिन्हें राज्य सरकार आगामी महीनों में लागू करना चाहती है। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी अधिकारियों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हर योजना राज्य की ज़मीनी ज़रूरतों को पूरा करे फिर चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य, महिला कल्याण या युवा सशक्तिकरण।
इस बैठक में विभागों से यह भी पूछा जाएगा कि कौन सी योजना किस वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाएगी और उसका सामाजिक प्रभाव कितना व्यापक होगा। मोहन यादव के अनुसार, योजना बनाना सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह जनता की भावनाओं और ज़रूरतों से जुड़ा विषय है।
बजट आवंटन और संसाधनों की प्राथमिकता पर होगी चर्चा
बैठक में योजनाओं के लिए प्रस्तावित बजट पर भी बात होगी। सरकार की कोशिश है कि हर योजना को उसका हक़ का बजट मिले और संसाधनों की कमी के कारण किसी योजना में रुकावट न आए।
पिछले कुछ महीनों में सरकार ने जो अनुभव जुटाए हैं, उनका उपयोग अब बजट निर्धारण में किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर, जिन क्षेत्रों में महिला स्वास्थ्य सेवाएं पिछड़ रही थीं, वहां अब अधिक निवेश करने की योजना है। यही नहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के लिए अलग से बजट पैकेज भी तैयार किया जा सकता है।
क्रियान्वयन की रणनीति और ज़मीनी हकीकत को लेकर चर्चा
मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी चिंता यह है कि योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित न रह जाएं। उन्होंने साफ़ किया है कि हर योजना का एक मजबूत कार्यान्वयन ढांचा होना चाहिए जो ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर तक पारदर्शी ढंग से काम करे।
बैठक में यह भी तय किया जाएगा कि योजनाओं की निगरानी कैसे की जाए और उन अफसरों पर क्या कार्रवाई होगी जो समय पर योजनाओं को लागू नहीं कर पाएंगे। सरकार का लक्ष्य यह है कि हर घर तक योजनाओं का लाभ पहुंचे — बिना किसी भेदभाव के।
दूसरी बैठक में मौजूदा योजनाओं की प्रगति की समीक्षा होगी
दोपहर की बैठक में उन योजनाओं की प्रगति का जायजा लिया जाएगा जो पिछले कुछ समय से लागू हैं। मुख्यमंत्री इस बात को लेकर गंभीर हैं कि पहले से चल रही योजनाएं किन वजहों से अटकी हुई हैं और उनके समाधान क्या हो सकते हैं।
इस सत्र में अधिकारी सीधे मुख्यमंत्री के सामने रिपोर्ट पेश करेंगे कि किन जिलों में योजनाएं बेहतर तरीके से लागू हुईं और कहां पर समस्याएं आईं। सरकार यह भी देखेगी कि किन योजनाओं का असर जमीनी स्तर पर लोगों की ज़िंदगी में बदलाव ला रहा है और कहां सिर्फ आंकड़ों में दिख रहा है।
बैठकों का उद्देश्य है विकास को गति देना और ज़िम्मेदारी तय करना
इन दोनों बैठकों का मूल उद्देश्य यह है कि योजनाओं को बेहतर बनाकर उन्हें तेज़ी से लागू किया जाए। लेकिन इसके साथ-साथ मुख्यमंत्री यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हर अधिकारी की ज़िम्मेदारी स्पष्ट हो और कोई भी विभाग लापरवाही न करे।
मोहन यादव का मानना है कि राज्य में विकास तभी संभव है जब सरकार, प्रशासन और जनता एक साथ मिलकर काम करें। ये बैठकें सिर्फ योजनाएं तय करने के लिए नहीं हैं, बल्कि एक सिस्टम खड़ा करने की कोशिश हैं जो अगले कुछ वर्षों में राज्य की तस्वीर बदल सके।
इन बैठकों को लेकर आम जनता में भी उम्मीदें हैं। कई लोग यह जानना चाहते हैं कि उनकी समस्याओं पर सरकार कितनी गंभीर है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए योजनाएं कैसी होंगी, इस पर सभी की नज़रें टिकी हैं।
यह भी पढ़ें – Six Lane Highway: इन दो शहरों के बीच बन रहा है हाईवे, जमीन मालिक बन जायेंगे करोड़पति
लोगों को भरोसा है कि अगर इन बैठकों से निकली योजनाएं ईमानदारी से लागू होती हैं, तो मध्यप्रदेश के गाँव, शहर और कस्बों में ज़मीनी बदलाव आ सकते हैं। यही वो विश्वास है जिसे मुख्यमंत्री बनाए रखना चाहते हैं।