MP News : नमस्कार दोस्तों, मध्यप्रदेश में एक नै पहल होने रही है जहाँ मध्यप्रदेश के एक गांव को सोलर गांव बनाने का काम किया जा रहा है इस गांव को ज़िले में एक ऐसा गांव विकसित किया जाएगा जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा (Solar Energy) पर आधारित होगा। यानी गांव की हर गली, हर घर की बिजली अब सूरज की रौशनी से आएगी। इससे प्रोजेक्ट के चलते प्रदेश हरित ऊर्जा की दिशा में एक नया उदाहरण भी बनने जा रहा है।
बिजली संकट हेतु निकाला जा रहा है हल
अगर यह सोलर ऊर्जा का जो प्रोजेक्ट है वह सफल होता है तो यह आने वाले समय के लिए बहुत ही कारगर साबित होने वाला है क्योकि इससे होने वाले बिजली संकट से काफी राहत मिलेगी।
इस प्रोजेक्ट को लेकर भोपाल के कलेक्टर ने जिला पंचायत और अन्य संबंधित विभागों को आवश्यक निर्देश दे दिए हैं जिसके तहत लीड बैंक को इस सोलर गांव के लिए फाइनेंसिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। सबसे अहम् बात यह है कि अगले 15 दिनों के भीतर गांव का चयन कर लिया जाएगा और यहीं से यह बड़ा अभियान शुरू होगा।
सोलर एनर्जी से रोशन हो रहा भोपाल
वर्तमान में भोपाल शहर में पहले से ही 32,000 से अधिक सोलर पैनल लगाए जा चुके हैं। ये पैनल मिलकर 1.92 लाख किलोवॉट क्षमता के प्लांट्स चला रहे हैं जो हर दिन 7.68 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करते हैं। यह शहर की 13% बिजली ज़रूरत को पूरा कर रहा है। मासिक स्तर पर बात करें तो ये सोलर सिस्टम करीब 2.30 करोड़ यूनिट बिजली बना रहे हैं। ये न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि शहर को बिजली संकट से बचाने में भी मददगार बन रहा है।
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मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भोपाल नगर निगम को 25,000 सोलर प्लांट लगाने और 900 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य दिया है। यह लक्ष्य न सिर्फ शहर की ज़रूरतें पूरी करेगा, बल्कि ग्रामीण विकास की नई राहें भी खोलेगा।
सरकारी छतों पर लगेगा सोलर प्लांट
नई सरकारी आदेश के अनुसार अब सरकारी भवनों की छतें भी खाली नहीं रहेंगी सभी सरकारी छतों पर सोलर पैनल लगाया जायगा जिससे छतें आने वाले समय में हर दिन हजारों यूनिट बिजली बना सकती हैं। हमने कुछ आंकड़े तैयार किये हैं जिसके अनुसार आप इसे समझ सकते हैं –
नगर निगम के भवन में कुल 93 भवन हैं अगर हर छत पर 20 किलोवॉट का प्लांट लगाया जाए, तो 1800 किलोवॉट क्षमता से रोज़ाना 7200 यूनिट बिजली यानि महीने में 2.16 लाख यूनिट, जो नगर निगम की ज़रूरत के बराबर है। जिला प्रशासन के भवन में कुल 75 भवन हैं जिसके तहत 20% अतिरिक्त बिजली अन्य जरूरतों को दी जा सकेगी।
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बिजली कंपनी के कार्यालय के कुल 35 ऑफिस जो इन कार्यालयों की लगभग सभी ज़रूरतों को पूरा कर सकेगा भोपाल का यह कदम न केवल एक जिले की सोच है, बल्कि सस्टेनेबल फ्यूचर की ओर बड़ा कदम है। जब गांव तक सूरज की रोशनी से बिजली पहुँचेगी, तो विकास और पर्यावरण दोनों का संतुलन बना रहेगा।