हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: हाल ही में हाईकोर्ट के मामले में कोर्ट ने एक अजीब गरीब फैसला सुनाया है जिससे अब सभी लोग हैरान हैं क्योंकि किसी बेटी को उसके ही पिता के संपत्ति पर अधिकार न मिलना उस बेटी के लिए बहुत दुःख की बात है।
हाईकोर्ट ने ऐसा ही फैसला सुनाते हुए ये साफ कह दिया कि अगर पिता की मौत साल 1956 से पहले हुई है, तो बेटियों को उनकी संपत्ति में कोई कानूनी हक नहीं मिलेगा। देखा जाए तो अब ये पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि पिता की मौत कब हुई थी उस हिसाब से बेटी को उस संपत्ति पर अधिकार मिलेगा।
जानिये क्या है पूरा मामला ?
दरअसल ये केस महाराष्ट्र के यशवंतराव नाम के एक व्यक्ति से जुड़ा है जिनकी मौत 1952 में हुई थी। यशवंतराव की दो शादियाँ हुई थीं। पहली पत्नी लक्ष्मीबाई से उनकी एक बेटी राधाबाई थी और दूसरी पत्नी भीकूबाई से चंपूबाई नाम की एक और बेटी हुई। जब यशवंतराव की मौत हुई तो संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया। राधाबाई ने कोर्ट में याचिका लगाई कि उन्हें भी अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलना चाहिए।
इस याचिका पर ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई की और राधाबाई की मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि चूंकि यशवंतराव की मौत 1956 के पहले हो गई थी, इसलिए हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 इस पर लागू नहीं होगा। परन्तु इस केस में मोड़ तब आया जब हाईकोर्ट के दोनों जजों की राय एक जैसी नहीं थी। इस कारण केस को बड़ी खंडपीठ के पास भेजा गया, ताकि इस विवाद पर विस्तृत चर्चा हो सके। लेकिन अंत में यही निष्कर्ष निकला कि अगर पिता की मृत्यु 1956 से पहले हुई है, तो पुराने कानून ही मान्य होंगे, चाहे मामला अभी भी लंबित क्यों न हो।
इसे भी पढ़ें – पुरानी पेंशन योजना की वापसी: शिक्षकों के लिए राहत की खबर