MP News: मध्य प्रदेश का डिंडौरी जिला इन दिनों सुर्खियों में है। एक तरफ शहपुरा को अलग जिला बनाने की मांग फिर जोर पकड़ रही है, वहीं दूसरी ओर जल संरक्षण के लिए 2321 खेत तालाबों और 1570 कूपों का निर्माण तेज़ी से हो रहा है। इन दोनों घटनाओं ने डिंडौरी को प्रदेश की राजनीति और विकास योजनाओं के केंद्र में ला दिया है।
शहपुरा को जिला बनाने की मांग
शहपुरा तहसील को जिला बनाए जाने की मांग कोई नई नहीं है। यह वर्षों पुरानी आवाज़ अब फिर बुलंद हो चुकी है। “शहपुरा जिला बनाओ संघर्ष समिति” के बैनर तले हाल ही में एक बैठक हुई, जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री और विधायक ओम प्रकाश धुर्वे सहित सैकड़ों नागरिकों ने हिस्सा लिया।
बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा गया की अगर निवास को जिला बनाया गया तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा। विधायक धुर्वे ने भी इस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि शहपुरा भौगोलिक, राजनीतिक और प्रशासनिक सभी दृष्टिकोणों से जिला बनने के लिए उपयुक्त है।
कई जिलों के गांव शामिल होना चाहते हैं शहपुरा में
शहपुरा अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एडवोकेट दयाराम साहू और भारतीय किसान संघ के नेता निर्मल साहू का कहना है कि इस नए जिले में डिंडौरी, मंडला, जबलपुर और उमरिया के कई गांव स्वेच्छा से शामिल होना चाहते हैं। उनका तर्क है कि शहपुरा को जिला बनाए जाने से प्रशासनिक कामकाज आसान होगा और विकास की रफ्तार बढ़ेगी।
2321 खेत तालाब और 1570 कूपों से बदलेगी जल की तस्वीर
वहीं दूसरी तरफ डिंडौरी में जल गंगा अभियान के तहत जल संकट को दूर करने के लिए बड़े पैमाने पर जल संरचनाओं का निर्माण शुरू हो चुका है। डिंडौरी कलेक्टर नेहा मारव्या की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक में बताया गया कि जिले में 2321 खेत तालाबों और 1570 कूपों के लिए रिचार्ज संरचना निर्माण का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है।
इन तालाबों और कूपों के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। जल स्तर बढ़ेगा, फसल उत्पादन बेहतर होगा और लोगों को आजीविका के नए साधन भी मिलेंगे।
हर तालाब होगा मॉनिटर
कलेक्टर ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी निर्माण कार्य तय समय सीमा और गुणवत्ता के साथ पूरे किए जाएं। साथ ही सभी कार्यों का निरीक्षण नियमित रूप से किया जाए और जनप्रतिनिधियों को भी हर जानकारी सौंपी जाए ताकि पारदर्शिता बनी रहे। निर्माणाधीन अमृत सरोवर और सार्वजनिक तालाबों में पिचिंग, बंड और वेस्ट वेयर जैसी संरचनाओं का काम भी प्राथमिकता से किया जा रहा है।
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शहपुरा को जिला बनाए जाने की मांग न सिर्फ स्थानीय नेताओं बल्कि आम जनता के दिल से जुड़ी हुई है। लोगों को लगता है कि यदि प्रशासन वास्तव में क्षेत्रीय संतुलन चाहता है, तो शहपुरा को जिला बनाना एक न्यायपूर्ण निर्णय होगा। वहीं तालाब और कूपों का निर्माण स्थानीय किसानों और ग्रामीणों में आशा की किरण जगा रहा है।
इन दोनों खबरों ने यह साबित किया है कि डिंडौरी जिला अब सिर्फ जंगलों का इलाका नहीं रह गया — यह विकास की मुख्यधारा में शामिल होने को तैयार है।
क्या शहपुरा को जिला बना देना चाहिए? क्या जल संरचना से सच में बदलाव आएगा? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर बताएं। और ऐसी ही ज़मीनी खबरों के लिए जुड़े रहें sirjppharmacycollege.com/ के साथ।
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