मध्यप्रदेश की आर्थिक दिशा एक बार फिर चर्चा में है। डॉ. मोहन यादव की सरकार एक और बड़ा वित्तीय कदम उठाने जा रही है। वित्त वर्ष 2025-26 में सरकार दूसरी बार 4500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने की योजना बना चुकी है। सरकार यह कर्ज दो किश्तों में लेगी – पहली किश्त 2000 करोड़ रुपए और दूसरी 2500 करोड़ रुपए की होगी। सवाल यह है कि क्या यह कर्ज प्रदेश के विकास में सहायक होगा या राज्य को और अधिक ऋण के दलदल में धकेलेगा?
अब तक कितना कर्ज ले चुकी है सरकार?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार अब तक 9500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है – और वो भी केवल 2025-26 वित्त वर्ष के दो महीनों में। इससे पहले 7 मई 2025 को सरकार ने दो बार में 2500-2500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इस नए लोन के बाद राज्य का कुल कर्ज बढ़कर 4,31,740 करोड़ रुपए के आसपास पहुंच जाएगा।
3 जून को लिए जाएंगे दो कर्ज
कर्ज राशि | अवधि | भुगतान की अंतिम तिथि |
---|---|---|
₹2000 करोड़ | 16 वर्ष | 4 जून 2041 |
₹2500 करोड़ | 18 वर्ष | 4 जून 2043 |
कर्ज क्यों लिया जा रहा है?
सरकार का कहना है कि यह कर्ज प्रदेश की आवश्यक योजनाओं और जनहित से जुड़े कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए लिया जा रहा है। इस कर्ज से राज्य में चल रहे विकास कार्यों (Development Works) को गति दी जाएगी, कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ता (Dearness Allowance – DA) समय पर दिया जा सकेगा।
लाड़ली बहना योजना की आगामी किश्तें भी समयबद्ध तरीके से पात्र महिलाओं के खातों में भेजी जा सकेंगी। इसके अलावा मानसून से पहले चल रहे निर्माण कार्यों जिन्हें Pre-Monsoon Construction Expenses कहा जा रहा है सीधे तरीके से देखा जाये तो कर्ज जरूरी माना गया है, ताकि अधूरे प्रोजेक्ट्स समय से पूरे किए जा सकें और बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सके।
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सरकार ने 7 मई 2025 को भी दो लोन लिए थे:
- पहला लोन – ₹2500 करोड़, 12 वर्षों के लिए (अंतिम भुगतान: 7 मई 2037)
- दूसरा लोन – ₹2500 करोड़, 14 वर्षों के लिए (अंतिम भुगतान: 7 मई 2039)
यानि महज़ एक महीने के भीतर ही सरकार ने कुल 9500 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया है।
यहाँ देखें राज्य की कमाई और खर्च की स्थिति
- कुल आमदनी: ₹2,34,026.05 करोड़
- कुल खर्च: ₹2,21,538.27 करोड़
- Revenue Surplus: ₹12,487.78 करोड़
वित्त वर्ष 2024-25 (Revised)
- कुल आमदनी: ₹2,62,009.01 करोड़
- कुल खर्च: ₹2,60,983.10 करोड़
- Revenue Surplus: ₹1025.91 करोड़
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इन आँकड़ों के अनुसार सरकार के पास अभी भी सरप्लस है, लेकिन सवाल यह है कि फिर इतनी उधारी क्यों? एक तरफ राज्य सरकार अपनी सामाजिक योजनाओं और विकास कार्यों को जारी रखने के लिए फंड जुटाने की बात कह रही है, तो दूसरी ओर कर्ज की रफ्तार भी तेज़ हो चुकी है। अब देखना यह होगा कि ये कर्ज वास्तव में जनहित में निवेश होता है या सिर्फ ब्याज चुकाने का सिलसिला बनकर रह जाता है।