मध्यप्रदेश सरकार ने इस बार का बजट केवल आंकड़ों की किताब नहीं बनाया, बल्कि इसे गांव की गलियों से लेकर शहर की चौड़ी सड़कों तक विकास की असल तस्वीर में ढालने का प्रयास किया है। वित्त वर्ष 2025-26 का 4.21 लाख करोड़ से अधिक का बजट प्रदेश के हर हिस्से को जोड़ने और संवारने का रोडमैप पेश करता है।
गांवों के लिए ‘मुख्यमंत्री मजरा टोला सड़क योजना’ शुरू
बजट की सबसे बड़ी और राहत देने वाली घोषणा ग्रामीणों के लिए रही। अब ऐसे मजरे-टोले, जहाँ आज भी लोग मुख्य सड़क से गांव तक की दूरी मिट्टी के रास्तों से तय करते हैं, उन्हें पक्की और बारहमासी सड़क से जोड़ा जाएगा।
इसके लिए सरकार ने ₹100 करोड़ का सीधा प्रावधान किया है।
8631 गांव पहले ही जुड़ चुके हैं पक्की सड़कों से
मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब तक 8631 गांवों को 19,472 किमी लंबी सड़कों से जोड़ा जा चुका है, लेकिन अब भी ऐसे अनेक टोले हैं जो अभी भी इस सुविधा से वंचित हैं। इन्हीं तक पहुंच बनाने के लिए मजरा टोला योजना लाई गई है।
सिर्फ नई सड़कें ही नहीं पुराने व क्षतिग्रस्त पुलों के पुनर्निर्माण के लिए भी ₹100 करोड़ का अलग से प्रावधान किया गया है। इससे ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में टूटी कड़ियों को जोड़ा जा सकेगा।
सड़कों और पुलों के लिए कुल ₹16,436 करोड़ का बजट
प्रदेश सरकार ने इस बार सड़क और पुल निर्माण व रखरखाव पर ₹16,436 करोड़ का भारी भरकम बजट रखा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 34% ज्यादा है। इससे न केवल नए निर्माण होंगे बल्कि पहले से बनी सड़कों की क्वालिटी और मेंटेनेंस भी बेहतर होगी।
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राज्य सरकार ने आने वाले 5 वर्षों में 500 नए फ्लाईओवर और रेल ओवरब्रिज बनाने का लक्ष्य रखा है। इस वर्ष 3500 किलोमीटर नई सड़कें और 70 पुल बनाए जाएंगे। वहीं, 116 रेलवे ओवरब्रिज का कार्य अभी प्रगति पर है जिन पर कुल ₹4251 करोड़ की लागत आ रही है।
बदलेगा ट्रांसपोर्ट का चेहरा
इंफ्रास्ट्रक्चर अब MP में केवल योजना नहीं एक्शन में बदल चुका है।
- भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, सतना, जबलपुर और देवास जैसे शहरों में Elevated Corridors पर काम जारी है।
- उज्जैन-जावरा 4 लेन रोड और उज्जैन-इंदौर 6 लेन परियोजना से पूरा मालवा क्षेत्र दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर से जुड़ेगा।
- उज्जैन-इंदौर 6 लेन रोड का भूमि पूजन भी हो चुका है, जिसकी लागत ₹1692 करोड़ है।
रेलवे क्रॉसिंग से जाम खत्म करने का प्लान
प्रदेश के कई हिस्सों में रेल क्रॉसिंग पर यातायात घंटों अटका रहता है। अब सरकार इस समस्या को दूर करने के लिए रेलवे के सहयोग से ओवरब्रिज और अंडरब्रिज बना रही है। इससे समय की बर्बादी ईंधन खर्च और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
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ये बजट केवल गांवों में पक्की सड़कें बनाने या शहरों में फ्लाईओवर उठाने तक सीमित नहीं है यह उस सोच का प्रतीक है जिसमें विकास को समावेशी, सुलभ और तेज़ बनाने की नीयत झलकती है। प्रदेश की सड़कों पर अब सिर्फ वाहन नहीं दौड़ेंगे, विकास भी उसी रफ्तार से दौड़ेगा।